Happy Holi 2015 Essay on holi in Hindi

Happy Holi 2015 Essay on holi in Hindi

happy holi 2015, happy holi 2015, holi essay ,happy holi essay, essay on holi,happy holi essay for kids,send holi essay, holi essay in hindi,happy holi essay in hindi, celcbration of holi in hindi,happy holi essay, happy holi essay compitation ,best holi essay in brief, holi short essay.
happy-holi-essay-in-hindi
happy-holi-essay-in-hindi

Happy Holi 2015 Essay in HINDI:

होली के बारे में निबंध लिखो



होली एक वसंत ऋतू का त्योहार है. होली को रंगों का त्योहार भी कहते हैं. होली एक प्राचीन हिंदू धार्मिक त्योहार है जो कि दक्षिण एशिया में लोकप्रिय है.

HOLI का त्यौहार मुख्य रूप से हिंदू या भारतीय मूल के लोगों के साथ साथ भारत , नेपाल , तथा दुनिया के अन्य क्षेत्रों में मनाया जाता है.



होली समारोह में लोग इकट्ठे हो कर होली के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं. होली की पूर्व संध्या पर एक होलिका को जलाया जाता है.

अगली सुबह गुलाल, पिचकारियों और रंगीन पानी से भरे गुब्बारों के साथ होली खेलते हैं.
होली का त्यौहार हर कोई मनाता है: दोस्त या अजनबी , अमीर हो या गरीब , आदमी या औरत , बच्चे या बड़े.

होली के दिन सभी सरकारी तथा प्राइवेट संस्थाओं में अवकाश होता है.

    हिर्ण्यकश्यप कथा

राजा हिर्ण्यकश्यप स्वयं को ईश्वर मानने लगा. उसकी इच्छा थी की केवल उसी का पूजन किया जाये. उसका स्वयं का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. पिता के समझाने के बाद भी जब पुत्र ने विष्णु की पूजा बन्द नहीं कि तो हिरण्य़कश्यप ने उसे आग में जलाने का आदे़श दिया. इसके लिये राजा नें अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को जलती हुई आग में लेकार बैठ जाये. क्योकि होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी.

इस आदेश का पालन हुआ, होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई. लेकिन होलिका जल गई, और प्रह्लाद बच गया.

इस कथा से यही धार्मिक संदेश मिलता है कि प्रह्लाद धर्म के पक्ष में था और हिरण्यकश्यप व उसकी बहन होलिका अधर्म




इस कथा से प्रत्येक व्यक्ति को यह प्ररेणा लेनी चाहिए, कि प्रह्लाद प्रेम, स्नेह, अपने देव पर आस्था, द्र्ढ निश्चय और ईश्वर पर अगाध श्रद्धा का प्रतीक है. वहीं, हिरण्यकश्यप व होलिका ईर्ष्या, द्वेष, विकार और अधर्म के प्रतीक है



 होली एक रंगबिरंगा मस्ती भरा पर्व है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं।



फाल्गुन मास की पुर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है।

भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया।



प्रह्लाद के पिता ने आखर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।

यह कथा इस बात का संकेत करती है की बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्योहार रंगों का त्योहार है। इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। वह एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठते हैं।


सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। घरों में औरतें एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं उन्हें हुरियारे कहते हैं।

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।

आजकल अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग नहीं होता और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाना चाहिए।


HOLI ESSAY HINDI:

होलिकोत्सव के लिए कई दिन पहले से बच्चे लकड़ी, कंडे एकत्रित करते हैं। एक माह पूर्व होली का डांडा गाड़ा जाता है। इस त्योहार का संबंध खेती से भी है। इस समय तक गेहूं व चने की फसल अधपकी तैयार रहती है।

किसान इसे पहले अग्नि देवता को समर्पित कर फिर प्रसादस्वरूप स्वयं ग्रहण करता है। नई फसल आने की खुशी में किसान ढोलक, डफ और छैने बजाकर, नाच-गाकर समां बांध देते हैं।

फाल्गुनी पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन होता है। बच्चे-बूढ़े सभी प्रसन्न हो अगले दिन सुबह से ही रंग-गुलाल आपस में लगाने जाते हैं एवं मिठाइयां खाई-खिलाई जाती हैं। दोपहर पश्चात खुलकर रंग खेला जाता है। बाद में स्नान कर नए वस्त्र पहने जाते हैं।

यह मस्ती और उमंग का त्योहार है। आपस में मिल-जुलकर गले मिलकर बिना किसी भेदभाव के यह त्योहार मनाया जाता है।

इन दिनों इस त्योहार का महत्व कम होता जा रहा है। सभ्य लोग इस दिन अपने घरों में बैठे रहते हैं, क्योंकि कुछ लोग शराब पीते हैं, गालियां देते हैं और फूहड़ हरकतें करते हैं।

रंग-गुलाल की जगह गंदगी, कीचड़ फेंकते हैं। अत: आवश्यक है कि हम इस त्योहार की गरिमा को बनाए रखें। यह त्योहार आनंदवर्धक है इसलिए इसे बड़ी सादगी से मनाना चाहिए।

happy holi 2015, happy holi 2015, holi essay ,happy holi essay, essay on holi,happy holi essay for kids,send holi essay, holi essay in hindi,happy holi essay in hindi, celcbration of holi in hindi,happy holi essay, happy holi essay compitation ,best holi essay in brief, holi short essay.
Share on Google Plus

About amber gandotra

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment